ट्रैक में गड़बड़ी थी, हादसे के बाद कॉशन मिला, पांच अफसरों ने लापरवाही मानी

लखनऊ। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे की पहली रिपोर्ट सामने आई है। रेलवे ने रिपोर्ट में बताया है कि ट्रैक की गड़बड़ी की वजह से हादसा हुआ। ट्रैक पर 30 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चल सकती है, लेकिन लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) को इसके बारे में बताया ही नहीं गया। उसने 86 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेन दौड़ा दी और हादसा हो गया। हादसे के 2 मिनट बाद उसे कॉशन मिला। इसके अलावा, जांच में ट्रैक 4 मीटर खिसका मिला है। ट्रैक को ठीक से कसा भी नहीं गया था। लखनऊ के 6 रेलवे अफसरों की जॉइंट कमेटी ने 36 पॉइंट में रिपोर्ट तैयार की है। 5 अफसरों ने हादसे की वजह इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही और 1 ने गलत ढंग से ब्रेक लगाना बताया है। छह सदस्यीय जांच टीम को ट्रेन के लोको पायलट त्रिभुवन नरायण और सहायक लोको पायलट राज ने बताया- मोतीगंज स्टेशन से दोपहर 2.28 बजे ट्रेन 25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से निकली। रेलवे ट्रैक पर जहां किलोमीटर संख्या 638/12 का पॉइंट का लगा है वहां जोर का झटका लगा। खडख़ड़ की आवाज आने के साथ प्रेशर कम होने लगा।
86 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल कर इंजन के ऊपर लगा हुआ पेंटो डाउन किया गया। इससे इंजन को बिजली मिलती है। ड्राइवर ने पीछे देखा तो ट्रेन की बोगियां उतर चुकी थीं। इंजन की फ्लैश लाइट जलाकर सहायक लोको पायलट राज को बगल की लाइन की सुरक्षा के लिए भेज दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पटरी 3 मीटर तक फैल गई थी, जिसके कारण ट्रेन का पहिया उतरा। लोको पायलट को झटका लगा तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाई। इस पर ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी, लेकिन तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर गईं। इस दौरान 350 मीटर की दूरी तक ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, रेल ट्रैक यानी पटरी सही से बंधी नहीं थी। दोपहर 1.30 बजे ट्रैक पर गड़बड़ी पकड़ी गई। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ ट्रेन के दोपहर 2.28 बजे गुजरने के 2 मिनट बाद 2.30 बजे 30 किमी. प्रति घंटे की गति का काशन का मेमो दिया। यानी, यह बताया कि ट्रैक पर अधिकतम 30 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ही ट्रेन चलवानी है।

एक तरह की जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद कॉशन ऑर्डर मिलने तक साइट पर सुरक्षा करनी चाहिए थी, जो कि नहीं की गई। इस कारण ट्रेन बेपटरी हुई, जिसकी गलती इंजीनियरिंग विभाग की है। वहीं, 4 दिन पहले भी पटरी में गड़बड़ी की सूचना की-मैन ने दी थी, लेकिन इसे समय रहते दूर नहीं किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे के बाद 4 मीटर तक ट्रैक खिसका मिला। ट्रैक के दाहिनी ओर पटरी फैली हुई मिली। इसका कारण वेल्डिंग पर दबाव होना बताया गया है। इंजन के बाद में जनरेटर पावर कोच बेपटरी था। इसकी डिस्क व्हील और सेकेंड्री डैंपर क्षतिग्रस्त मिला। ट्रॉली गिट्टियों में धंसी थी।

जांच टीम ने ट्रैफिक इंस्पेक्टर गोंडा जीसी श्रीवास्तव, चीफ लोको इंस्पेक्टर दिलीप कुमार, सीनियर सेक्शन इंजीनियर गोंडा वेद प्रकाश मीना, सीनियर सेक्शन इंजीनियर मनकापुर पीके सिंह सहित 6 अधीक्षकों के बयान भी दर्ज किए गए।
वरिष्ठ अनुभाग इंजीनियर (स्स्श्व) पीके सिंह ने रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा- रिपोर्ट बिना तथ्यों को देखे एक मत होकर बनाई गई है, जो कि बिल्कुल गलत है। संयुक्त रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। पीके सिंह ने 11 पॉइंट पर असहमति जताई है। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे की रेल संरक्षा आयुक्त ने शनिवार से जांच शुरू कर दी। दुर्घटना से जुड़े सभी पहलुओं की छानबीन की। पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ परिमंडल के ष्टक्रस् प्रण जीव सक्सेना शनिवार दोपहर 2.57 बजे स्पेशल ट्रेन से घटनास्थल पर पहु़ंचे। उन्होंने 28 मिनट तक ट्रैक और क्षतिग्रस्त कोच की पड़ताल की।
उन्होंने रेलवे क्रॉसिंग के पास कर्मचारियों से हादसे के बारे में पूछताछ की। विभाग की ओर से तैयार रिपोर्ट भी देखी। उनके साथ पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य संरक्षा अधिकारी मुकेश मेहरोत्रा व अपर मंडल रेल प्रबंधक राजीव कुमार भी रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *