स्वामी विवेकानंद अमेरिका के शिकागो में अपना ऐतिहासिक भाषण देने गए हुए थे। उनका व्याख्यान काफी प्रसिद्ध हो चुका था। अपने भाषण को पूरे विश्व पटल के सामने रखने के लिए स्वामी विवेकानंद अन्य देशों का भ्रमण करने के लिए निकले। इसी क्रम में उन्हें एक फ्रांसीसी विद्वान ने अपने घर आमंत्रित किया। स्वामी जी उनके घर पर पहुंचे। स्वामी जी का स्वागत किया गया। स्वामी जी के लिए फ्रांसीसी विद्वान ने स्वामी जी के लिए अच्छे भोजन का प्रबंध किया। विदेश में इस तरह का भोजन बड़े सौभाग्य की बात बड़े सौभाग्य की बात थी।

भोजन उपरांत वेद वेदांत और धर्म की रचनाओं पर बात चलने लगी। स्वामी जी ने वहां एक मोटी पुस्तक देखा। पुस्तक लगभग डेढ़ हजार पृष्ठों की होगी। स्वामी जी ने अपने मेजबान से पूछा यह क्या है? मैं इसका अध्ययन करना चाहता हूं। मेजबान ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा क्या आप हो फ्रांसीसी आती हैं स्वामी विवेकानंद ने जवाब दिया, “नहीं”।

स्वामी स्वामी जी ने अपने मेजबान से फिर कहा मैं इस पुस्तक को पढ़ना चाहता हूं। मुझे 1 घंटे के लिए इस पुस्तक को दे दें मैं इसे पढ़ लूंगा। अब उन सज्जन को थोड़ा झटका सा लगा और उन्होंने थोड़ा खीजते हुए स्वामी जी से कहा मैं इस पुस्तक को पिछले 1 महीने से पढ़ रहा हूं और अभी आधा ही पढ़ पाया हूं।

स्वामी जी ने कहा आप मुझे पुस्तक तो दें। चूंकि फ्रांसीसी मेजबान थे और स्वामी जी मेहमान थे। उन फ्रांसीसी सज्जन ने अनमने ढंग से उस पुस्तक को स्वामी जी को पढ़ने के लिए दिया। स्वामी जी उस पुस्तक को अपने दोनों हाथों में रखकर 1 घंटे के लिए योग साधना में बैठे हैं बैठ गए।

जैसे ही एक घंटा बीता, फ्रांसीसी विद्वान कमरे में आ पहुंचे। आते के साथ उन्होंने स्वामी विवेकानंद से प्रश्न पूछा क्या आपने अध्ययन कर लिया स्वामी जी ने कहा अवश्य। मेजबान ने कहा मजाक ना करें स्वामी जी ने कहा मैं सत्य कह रहा हूं। स्वामी जी ने कहा आपको अगर कोई संदेह हो तो आप पूछ सकते हैं। उन सज्जन ने एक पृष्ठ खोला और स्वामी जी से उसके बारे में पूछा स्वामी जी ने अक्षरसः जवाब दे दिया।

फ्रांसीसी विद्वान के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं थी। स्वामी जी के चरणों में गिर गए। उस विद्वान ने स्वामी जी जैसा व्यक्ति आज तक नहीं देखा था। उन्हें यकीन हो गया यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है यह असाधारण है।

कहानी की सीख

किसी का आकलन जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। जो काम आपसे नहीं हो पाए ऐसा नहीं की कोई दूसरा उसे ना कर पायेगा।

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