उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान को तीन अन्य लोगों के साथ डूंगरपुर इलाके में 2016 में एक घर को जबरन ध्वस्त करने के मामले में शनिवार को एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था।

लखनऊ । एमपी एमएलए कोर्ट ने डूंगरपुर मामले में आईपीसी की धारा 427, 504, 506, 447 और 120 बी के तहत आजम खान को सात साल और अन्य को पांच साल की सजा सुनाते हुए अपना फैसला सुनाया। आजम खान, पूर्व मेयर अज़हर अहमद खान, ठेकेदार बरकत अली और सेवानिवृत्त सीईओ आले हसन को दोषी पाया गया। सजा सुनाए जाने के दौरान आजम खान सीतापुर जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुए। सपा शासनकाल में डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे, जहां कुछ लोगों के पास पहले से ही घर थे। आरोप सामने आए कि 2016 में सरकारी जमीन को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था, पीड़ितों ने अधिकारियों पर लूटपाट का आरोप लगाया था।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान को तीन अन्य लोगों के साथ डूंगरपुर इलाके में 2016 में एक घर को जबरन ध्वस्त करने के मामले में शनिवार को एक विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था। अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता रोहताश कुमार पांडे ने बताया कि रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत के न्यायाधीश विजय कुमार ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अज़हर अहमद खान और पूर्व सर्कल अधिकारी आले हसन और बरकत अली को दोषी ठहराया।

गंज पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 447 (आपराधिक अतिचार के लिए सजा), 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सज़ा), 395 (डकैती के लिए सज़ा) और 412 (डकैती के दौरान चुराई गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 447, 427, 504 और 506 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।

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