सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी खोलकर रखे दरवाजे

कोर कमेटी की बैठक में प्रदेश स्तर के तमाम बीजेपी नेताओं ने वरुण गांधी को टिकट देने का विरोध किया। दरअसल, वरुण गांधी अपनी ही सरकार और पार्टी पर लंबे समय से हमलावर रहे हैं।

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 19 अप्रैल को 8 सीटों पर लोकसभा चुनाव होंगे। नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई है। ऐसे में सबकी निगाहें पीलीभीत सीट पर टिकी हैं। 2019 में इस सीट से भाजपा के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी ने चुनाव जीता था। लेकिन इस बार भाजपा ने अभी तक पीलीभीत से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। 

ऐसे में लोगों के मन में बस यही सवाल कौंध रहा है कि क्या भाजपा वरुण गांधी का टिकट काटेगी या फिर उन्हें पीलीभीत के रण में उतारा जाएगा? यदि उतारा जाएगा तो इतनी देरी क्यों? फिलहाल, सूत्रों का कहना है कि अगर भाजपा ने वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया तो वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी ने पीलीभीत से चुनाव लड़ा और तीसरी बार सीट हासिल की थी। 

वरुण ने खरीदवाए 4 सेट पर्चे
वरुण गांधी ने अपने प्रतिनिधि एम मलिक को पीलीभीत भेजकर चार सेट नामांकन पर्चा खरीदवाया है। प्रतिनिधि पर्चे खरीदने के बाद दिल्ली लौट गए। उधर, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने संकेत दिए हैं कि उनके लिए उनकी पार्टी के दरवाजे खुले हैं।  

भाजपा ने अभी तक पीलीभीत के लिए उम्मीदवार तय करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय चुनाव आयोग (सीईसी) से मुलाकात नहीं की है। यूपी में भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 51 उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिए हैं। जिनमें अंबेडकर नगर से पूर्व बसपा सांसद रितेश पांडे को मैदान में उतारा है, जबकि हेमा मालिनी, रवि किशन, अजय मिश्रा टेनी, महेश शर्मा, एसपीएस बघेल और साक्षी महाराज उन लोगों में से हैं, जिन्हें उनकी सीटों पर दोबारा टिकट मिला है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे।

बीजेपी नेताओं ने वरुण का किया विरोध
कोर कमेटी की बैठक में प्रदेश स्तर के तमाम बीजेपी नेताओं ने वरुण गांधी को टिकट देने का विरोध किया। दरअसल, वरुण गांधी अपनी ही सरकार और पार्टी पर लंबे समय से हमलावर रहे हैं। इससे विपक्ष को भी भाजपा को घेरने का मौका मिला। 

चर्चा में रहा था ये बयान
पिछले साल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष करते हुए कहा था कि वे आस-पास के साधु को परेशान न करें, क्योंकि कोई नहीं जानता कि महाराज जी कब मुख्यमंत्री बनेंगे। सितंबर 2023 में, उन्होंने एक मरीज की मौत के बाद अमेठी के संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने पर उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार का उपहास किया। उन्होंने एक्स पर कहा कि एक नाम के खिलाफ नाराजगी से लोगों का काम खराब नहीं होना चाहिए।

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