वाराणसी मोदी सरकार 3.0 के आम बजट को लेकर युवाओं और व्यापारियों ने सराहा है। साथ ही कुछ सुझाव भी दिए हैं। कंपनियों को अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत प्रशिक्षण का खर्च और इंटर्नशिप की 10 फीसदी लागत को वहन करना होगा, इसको लेकर भी व्यापारियों ने सुझाव दिए हैं।
यह आम बजट किसानों की तरक्की का रास्ता खोलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शानदार बजट पेश किया है। युवाओं के लिए रोजगार के सृजन होंगे और कृषि आधारित उत्पादों पर अत्यधिक ध्यान केन्द्रित होना आत्मनिर्भर भारत के लिए शुभ लक्षण है। – धर्मेन्द्र राय, एमएलसी, प्रवक्ता बीजेपी उत्तर प्रदेश
रियल स्टेट में 45 लाख पर एक प्रतिशत जीएसटी लगता था, इस पर सरकार ने कोई काम नहीं किया, इसलिए थोड़ी निराशा जरूर है। वहीं, किसानों और गरीबों के लिए जो मकान बनाए जाएंगे, उससे देश की तरक्की होगी। जीएसटी का दायरा बढ़ाकर 65 लाख कर देते तो अच्छा होता। – अनुज डिडवानिया, अध्यक्ष, क्रेडाई, पूर्वांचल
सोना-चांदी, प्लेटिनम या सी फूड सस्ता होगा तो उससे भला हमें क्या लाभ है। कैंसर की दवा का सस्ता होना एक अच्छा कदम है। शेष, बनारस वासी होने के नाते हमारे लिए बजट में ऐसा कुछ खास नहीं है। यहां इंडस्ट्री आती तो यहां के युवाओं को रोजगार मिलता। मेरी समझ से यह एक सामान्य सा बजट है, जो मोदी 3.0 में प्रस्तुत किया गया है। – विवेक श्रीवास्तव, वाराणसी
आज के बजट पर सरकार ने सोने पर कस्टम ड्यूटी सस्ता किया है। इससे उन लोगों को थोड़ी राहत होगी जो लड़कियों की शादियों में गहना खरीदते हैं। साथ ही सरकार को आठवां वेतनमान भी लागू करना चाहिए, ताकि कर्मचारियों का भला हो सके। – संदीप कुमार वाराणसी
रियल स्टेट में 45 लाख पर एक प्रतिशत जीएसटी लगता था, इस पर सरकार ने कोई काम नहीं किया, इसलिए थोड़ी निराशा जरूर है। वहीं, किसानों और गरीबों के लिए जो मकान बनाए जाएंगे, उससे देश की तरक्की होगी। जीएसटी का दायरा बढ़ाकर 65 लाख कर देते तो अच्छा होता। – अशोक जायसवाल, महामंत्री, महानगर उद्योग व्यापार समिति।
काशी विद्यापीठ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार तिवारी ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की मंशा से प्रस्तुत यह बजट 2024, समावेशी एवं सतत विकास को रेखांकित करता है। इस बजट में प्राकृतिक कृषि के साथ कृषि साधनों की उत्पादकता वृद्धि, मानव संसाधन विकास, महिला सहभागिता, ग़रीबी उन्मूलन, आधारभूत संरचना निर्माण एवं रोजगार वृद्धि के लक्ष्य सुनिश्चित किए गए हैं।यह बजट 2047 तक विकसित भारत बनाने का रोड मैप है, इस बजट में कृषि क्षेत्र को 1.52 लाख करोड़ आवंटित किये गए हैं तथा आधारभूत संरचना को मजबूत करने हेतु जीडीपी का 3.4% हिस्सा आवंटित किया गया है। राजकोषीय घाटा को 4.9%तक नियंत्रित कर राजकोषीय अनुशासन के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट की गई है। मुद्रा योजना के तहत ऋण सीमा को दस लाख से बढ़ा कर बीस लाख तक कर दिया गया है। इससे असंगठित क्षेत्रो मे कार्यरत लोगों की आर्थिक मजबूती मिलेगी। सरकार ने ग़रीबी कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, 2022-23 में ग़रीबी का अनुपात घटकर 11.28% रह गई है।
युवाओं को मिलेगा फायदा
काशी विद्यापीठ के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अजीत कुमार शुक्ल ने कहा कि उत्पादन क्षेत्र में रोजगार सृजन को पहली बार कर्मचारियों के रोजगार से जुड़ी योजना के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।यह योजना रोजगार के पहले चार वर्षों के दौरान कर्मचारियों और नियोक्ताओं को ईपीएफओ योगदान के संबंध में प्रोत्साहन प्रदान करेगी। इससे 30 लाख युवाओं को लाभ होगा और यह सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार को कवर करेगा।सरकार प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए दो साल तक प्रति माह 3,000 रुपये तक के ईपीएफओ योगदान की प्रतिपूर्ति नियोक्ताओं को करेगी। इस पहल का उद्देश्य 50 लाख लोगों के अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहित करना है।वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट में शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। इस मद में बजट में 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। हर साल एक लाख छात्रों को सीधे ई-वाउचर प्रदान करेगी, जिसमें ऋण राशि का 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी शामिल होगा।
उत्साहित करने वाला नहीं रहा बजट
वाराणसी के प्रमुख व्यापारी और आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके चौधरी ने कह कि इस बार के बजट में कुछ खास उत्साह नहीं है। टैक्स को लेकर व्यापारियों के हित ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। बजट संतुलित और विकास वाला जरूर है लेकिन औद्योगिक स्तर पर इनमें अभी कई कमियां हैं।
युवाओं का रखा गया ख्याल
बीएचयू के प्रबंध अध्ययन संकाय के प्रमुख प्रो. एचपी माथुर ने कहा कि साल 2024-25 का केंद्रीय बजट ‘विकसित भारत’ की दिशा में एक विस्तृत रणनीति प्रस्तुत करता है।
इस बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए खर्च बढ़ाने, रोजगार सृजन और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) को समर्थन देने पर जोर दिया गया है। इसमें मध्यवर्ग को राहत देने के लिए नए आयकर स्लैब की घोषणा की गई है और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए कर प्रणाली को सरल बनाया गया है, जिसमें विदेशी कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स को 40% से घटाकर 35% किया गया है।
प्रमुख पहलों में एक करोड़ युवाओं के लिए व्यापक इंटर्नशिप कार्यक्रम, पहले बार नौकरी पाने वालों के लिए रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन और महिलाओं के लिए विशेष कौशल विकास कार्यक्रम शामिल हैं। इन उपायों का उद्देश्य एक मजबूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का निर्माण करना, असमानताओं को कम करना और नागरिकों की जीवन गुणवत्ता को सुधारना है।
वाराणसी की जया पांडेय ने कहा कि इस बजट से मिडिल इनकम वालों को काफी राहत होगी। रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम में अच्छा इन्वेंस्टमेंट हुआ है। इससे बच्चों की स्किल कॉफी डेवलप होगी।