काशीवासी नानखटाई चढ़ा करेंगे प्रार्थना, लगाएंगे सब्जी-पूड़ी और हलवे का भोग
वाराणसी। भगवान जगन्नाथ अभी बीमार हैं। उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए काशी में परवल का जूस बनाया जाएगा। यह जूस 5 जुलाई को भगवान जगन्नाथ को पिलाया जाएगा। जिस दिन भगवान स्वस्थ होंगे, काशीवासी उनका दर्शन करेंगे। इसके साथ ही प्रसिद्ध नानखटाई का चढ़ावा चढ़ा, प्रार्थना करेंगे। यहां गौर करने वाली बात ये है कि भगवान जगन्नाथ को नानखटाई का भोग नहीं लगाया जाएगा। भोग में तुलसी के पत्ते होंगे। इसके अलावा काशी में तीन दिन, अलग-अलग पकवान बनेंगे। धर्म नगरी काशी में प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा पर्व 7 जुलाई को से शुरू होगा।
तीन दिवसीय इस मेले के लिए नानखटाई की दुकानें सजना शुरू हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा नानखटाई की खरीद होगी। नान खटाई कैसे बनती है? यह कितने प्रकार की होती है और इसे बनाने में का प्रोसेस क्या है? इन सवालों का जवाब हमने कारीगरों से जाना। साथ ही क्या नानखटाई भगवान जगन्नाथ को भोग में चढ़ती है ? क्या यह उनका प्रिय भोग है? इस विषय पर मंदिर और जगन्नाथ ट्रस्ट के सचिव से भी बातचीत की।

भगवान जगन्नाथ को रथयात्रा मेले के प्रथम दिन 9 बजे सुबह- छौका मूंग-चना, पेड़ा, गुड़ व देसी चीनी के शर्बत का भोग लगता है। इसके बाद 12 बजे आरती के बाद जब पट बंद होते हैं। दोपहर में तब पारंपरिक भोग लगेगा जिसमें- पूड़ी, कोहड़े की सादी सब्जी, दही, देसी चीनी व कटहल आम का आचार का भोग लगाया जाता है।दूसरे दिन सुबह 9 बजे छौका मूंग-चना, पेड़ा, गुड़ व देसी चीनी के शर्बत का भोग लगता है। इसके बाद 12 बजे आरती के बाद जब पट बंद होते हैं। दोपहर में तब पारंपरिक भोग लगेगा जिसमें- पूड़ी, कोहड़े व लौकी की सादी सब्जी, दही, देसी चीनी व कटहल आम का आचार का भोग लगाया जाता है। तीसरे दिन छौका मूंग-चना, पेड़ा, गुड़ व देसी चीनी के शर्बत का भोग लगता है। इसके बाद 12 बजे आरती के बाद रथ को खींचकर यूनियन बैंक रथयात्रा लाया जाएगा। दोपहर में 1 बजे के करीब पारंपरिक भोग लगेगा जिसमें- पूड़ी, कटहल की सादी सब्जी, दही, देसी चीनी सूजी का हलवा, मालपुआ, पंचमेल मिठाई व कटहल आम का आचार का भोग लगाया जाता है।