महंत प्रो.विश्वम्भर नाथ मिश्र ने दिया शिष्यों को आशीष
वाराणसी, सन्मार्ग। गुरूपूर्णिमा के अवसर पर आज जनपद के सभी मठ-मंदिरों सहित आश्रमों में शिष्यों ने गुरू वदंन कर सुखद भविष्य की कामना करते हुए आशिश प्राप्त किया। रविन्द्रपुरी सिद्घपीठ कीनाराम में देर रात से ही श्रद्घालुओं की लंबी कतार लग गयी जो दोपहर तक जारी रही। तुलसीघाट स्थित अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने प्रात:काल से आये श्रद्घालुओं को दर्शन देते हुए अपना आशीर्वाद दिया। सर्वप्रथम उन्होंने तुलसीदास जी के चित्र और चरण पादुका का विधि विधान से पूजन किया। इस अवसर पर प्रोफेशन विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि सच्चा गुरु वही होता है जो समाज को सत्य मार्ग पर ले जाने का काम करें।

साथ ही समाज को एक नई दिशा प्रदान करें। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला ही गुरु कहलाता है। दोपहर बाद तक वहां पदपूजन के लिए शिष्यों की लंबी कतार देखी गयी। गुरूपूर्णिमा के अवसर पर आये कई भक्तों को महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने गुरूमंत्र देकर दीक्षित किया। वही मदर्स फार मदर की सरंक्षिका एवं गुरूपत्नी श्रीमती आभा मिश्रा ने सभी शिष्यों को प्रसाद देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

मछली बंदर मठ में 200 से ज्यादा भक्त भगवान के संगीत भजन में मगन हैं। श्री दुर्गा मातृ छाया शक्ति पीठ साध्वी गीतांबा पहुंची हैं। उनके शिष्य और आम लोग उनका आशीर्वाद ले रहे हैं। इसके अलावा काशी हिंदू विश्व विद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय समेत पूरे जिले के शैक्षणिक संस्थानों और कॉलेजों में गुरु पूर्णिमा पर खास आयोजन चल रहे हैं। सतुआ बाबा के आश्रम में शिष्यों एवं श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
नगवा लंका स्थित श्री दुर्गा मातृ छाया शक्तिपीठ में साध्वी गीताम्बा तीर्थ का पूजन अर्चन करने के लिए भक्तों में होड़ मच गई। दूर-दूर से आए भक्तों ने विधि विधान से देवी उपसिका का पूजा अर्चन किया।
गुरु पूर्णिमा पर श्याम माता मंदिर आश्रम में हुई गुरू पूजा
चित्रसेनपुर। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर मिर्जामुराद स्थित श्याम माता मंदिर आश्रम में भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालु बड़ी संख्या में अपने गुरु स्वामी आत्मानंद महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां पहुंच रहे थे। आश्रम में भक्तों की असीम श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। आश्रम में गुरु पूर्णिमा के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें भजन-कीर्तन, सत्संग और प्रवचन शामिल हैं। इस अवसर पर आत्मानंद महाराज ने अपने प्रवचन में गुरु के महत्व और उनके प्रति श्रद्धा की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर भक्तों का उत्साह और भक्ति का भाव देखते ही बन रहा था। आश्रम में आने वाले लोग गुरु का आशीर्वाद ले रहे थे। लोगों के आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया था। आश्रम में भारी संख्या में लोगों को भीड़ रही।

मुस्लिम बंधुओं ने काशी में किया गुरु पद सम्मान
वाराणसी। गुरु पूर्णिमा पर पूरे विश्व में गुरु-शिष्य परंपरा निभाई जा रही है। इसी क्रम में वाराणसी के जैतपुरा इलाके में स्थित पातालपुरी मठ में मुस्लिम बंधुओं ने गुरु-शिष्य परंपरा निभाई। इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास की आरती उतारी और उन्हें अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
पातालपुरी मठ पर भी गुरु शिष्य परंपरा निभाई गई। यहां सनातन धर्मियों के अलावा मुस्लिम भाइयों ने भी पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास की आरती उतारी और उनका गुरु पद सम्मान किया। इस दौरान मुस्लिम भाइयों ने भी गुरु-शिष्य परंपरा निभाई। महिलाओं ने पहले गुरु की आरती उतारी फिर पुरुषों ने अंगवस्त्र पहनकर उनके चरण धुलाए।मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि ‘आज गुरु पूर्णिमा पर हम सभी अपने गुरु की आरती उतार रहे हैं। हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि बिना गुरु के ज्ञान अधूरा रहता है। पूरी दुनिया में आतंक, दंगा, फसाद फैला हुआ है।
इसका मुख्य कारण है सही शिक्षा नहीं मिलना। हमने आज अपने पूज्य गुरु की आरती की है। गुरु शिष्य की परंपरा भारतीय संस्कृति की परंपरा है। हम किसी धर्म में न फंसते हुए भारतीय संस्कृति के अनुसार गुरु की आरती उतार रहे हैं। मजहबी लोग मजहब का रंग देते हैं लेकिन वो सही ज्ञान नहीं दे पाते हैं। इस बारे में महंत बालक दास ने बताया – आज गुरु पूर्णिमा है। ऐस में पातालपुरी मठ जो कि जगतगुरु रामानंदाचार्य जी महाराज का सिद्धपीठ है। आचार्य श्री का एक नियम था कि उन्होंने जात-पात कभी नहीं देखा। उसी परंपरा का निर्वाहन आज तक यह आश्रम कर रहा है।

गुरु का मतलब ज्ञान और ज्ञान वर्धन करने वाला होता है। यह किसी जाति और सम्प्रदाय का नहीं होता वह उससे आगे होता है। इसी वजह से यहां हर समुदाय के लोग गुरु शिष्य परंपरा निभा रहे हैं।